Online payment New Rule: 1 जनवरी से बदल जाएंगे ऑनलाइन पेमेंट के नियम, आपको पता होना चाहिए

RBI के आदेश के बाद कारोबारियों और पेमेंट गेटवे (payment gateways) को अपने सर्वर पर स्टोर की गई यूजर्स की सारी जानकारी को डिलीट करना होगा. इसका मतलब है कि अब आपको वेबसाइटों पर भुगतान करने के लिए कार्ड का पूरा विवरण दर्ज करना होगा.



New Online payment Rules: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने पिछले वर्ष ऑनलाइन भुगतान नियमों में बदलाव की घोषणा की थी. इस साल सितंबर में आरबीआई (RBI) ने ऑनलाइन व्यापारियों को साल के अंत तक टोकन लागू करना शुरू करने का समय दिया था. टोकन सिस्टम (tokenisation) को लेकर बैंक समय-समय पर बैंक अपने ग्राहकों को जानकारी देते रहे हैं.

देश में डिजिटल पेमेंट में लगातार इजाफा हो रहा है. अब ज्यादातर लोग खाना ऑर्डर करने, कैब बुक करने के लिए या फिर कोई और भी शॉपिंग के लिए ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन जैसे-जैसे डिजिटल पेमेंट की दुनिया बढ़ रही है, उसकी स्पीड से साइबर फ्रॉड की घटनाएं बढ़ रही हैं. साइबर अपराधी (cyber criminals) नई-नई तकनीकों और ऐप का इस्तेमाल करने लोगों का डेटा चुराने और उनका पैसा हड़पने की जुगत में लगे रहते हैं.



इन तमाम खतरों को देखते हुए लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने और ऑनलाइन भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी व्यापारियों और भुगतान गेटवे को यूजर्स का विवरण और डेबिट-क्रेडिट कार्ड (debit and credit cards) की डिटेल हटाने के लिए कहा है.

1 जनवरी से लागू होंगे नए नियम (Online payment New rules)
आरबीआई के आदेश के बाद कारोबारियों और पेमेंट गेटवे (payment gateways) को अपने सर्वर पर स्टोर की गई यूजर्स की सारी जानकारी को डिलीट करना होगा. इसका मतलब है कि अब आपको वेबसाइटों पर भुगतान करने के लिए कार्ड का पूरा विवरण दर्ज करना होगा.



बैंकों ने अपने ग्राहकों को नए नियमों के बारे में बताना शुरू कर दिया है. प्रमुख निजी बैंकों में से एक एचडीएफसी अपने ग्राहकों को संदेश भेज रहा है कि उन्हें या तो पूर्ण कार्ड विवरण दर्ज करना होगा या टोकन (tokenisation) का विकल्प चुनना होगा.

टोकनेशन क्या है (What is tokensation)
इस समय ऑनलाइन पेमेंट या टांजैक्शन के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड की 16 अंकों संख्या, कार्ड की समाप्ति तिथि, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड को दर्ज करना होता है. पेमेंट ऐप या फिर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर आपका कार्ड नंबर स्टोर हो जाता है और आप केवल सीवीवी और ओटीपी एंटर कर भुगतान कर सकते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.



टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड मुहैया करता है, जिसे “टोकन” कहा जाता है. टोकनाइजेशन की मदद से कार्डधारक को अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की पूरी डिटेल्स को शेयर नहीं करनी नहीं होती है. टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर का एक वैकल्पिक कोड के जरिए रिप्लेसमेंट होता है. इस कोड को ही टोकन कहते हैं.

टोकनाइजेशन हर कार्ड, टोकन रिक्वेस्टर और मर्चेंट के लिए यूनीक होगा. टोकन क्रिएट हो जाने पर टोकनाइज्ड कार्ड डिटेल्स (tokenisation) को वास्तविक कार्ड नंबर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. कहा जा रहा है कि इस सिस्टम को ऑनलाइन पेमेंट के लिए ज्यादा सुरक्षित माना जाता है.




1 जनवरी से क्या बदलेगा (What will change from January 1)
नए साल में पहली जनवरी से जब आप किसी को ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो आपको प्रमाणीकरण के एक अतिरिक्त कारक (Additional factor of authentication-AFA) के साथ उसे अपनी सहमति देनी होगी. एक बार हो जाने के बाद आप अपने कार्ड के सीवीवी और ओटीपी को दर्ज करके भुगतान पूरा करेंगे.

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